“राह के पथिक”

थक कर ना बैठ जाना पथिक तु कहीं राह में

कई क्षितिज अभी शेष हैं, जो कि तुझको पाने हैं

दिखा दे दुनिया को कि दम तुझमे भी है,

संघर्ष कर पुरा कर जो भी तेरे सपनें हैं ।

आधी राह में पहॅुच कर, अब क्यों तु सोच रहा

यथार्थ के धरातल पर, क्यों फैसलों को परख रहा

ना सोच विचार कर,  फैसलों का सम्मान कर

जोश से कदम बढ़ा, क्योंकि लक्ष्य प्रतीक्षा में खड़ा।

दुसरों के सहारे तुझे क्या कुछ मिल पाएगा

बाधाओं को ही पार कर तु विजयी कहलाएगा

हर मोड पर अकेले ही, तुझको तो अब लडना है

यह समझा तु पथिक तो, हर चक्रवह्यु तोड पाएगा ।

लक्ष्य कई तुझको नए इन राहों में ही पाने है,

भुल मत खुशियों के क्षण अभी जिन्दगी में आने हैं

थक कर ना बैठ जाना पथिक तु कहीं राह में

कई क्षितिज अभी शेष हैं, जो कि तुझको पाने हैं ।।

Thanks to unknown artist for beautiful picture

2 Comments Add yours

  1. Radha S says:

    really nce……

  2. Radha Sharma says:

    choti se chahat,,,,,,beutiful poem…..

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